शिष्य नें आखिर ऐतिहासिक लालचौक जम्मू-कश्मीर पर एक यादगार शिक्षक-दिवस मनाने और आशीर्वाद लेनें की जिद्द की, वर्तमान के चाणक्य गुरुदेव

**शिष्य नें आखिर ऐतिहासिक लालचौक (जम्मू-कश्मीर)पर एक यादगार शिक्षक-दिवस मनाने और आशीर्वाद लेनें की जिद्द की पूरी*

  उम्मेद सिंह महला,अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी-माध्यमिक-झुन्झुनू, राजस्थान, जब रा.उ.मा. विद्यालय-बाय,झुन्झुनू में राज.विज्ञान विषय के व्याख्याता पदस्थापित थे। तब उसी गाँव के 10वीं कक्षा के विधाथीॅ प्रदीप कुलहरी श्री महला की पढ़ाने की शैली,बहुत साधारण व्यक्तित्व लेकिन असाधारण संवाद शैली और राष्ट्रभाव के प्रभावी उद्बोधन से इतने प्रभावित हुए और मन ही मन ये तय किया कि मैं भी एक दिन शिक्षक बन करके शिक्षक दिवस पर **एक विशेष हैपी टीचर्स डे**की बधाई दूँगा। अपने आदरणीय गुरुजी श्री महला के 15 अगस्त और 26 जनवरी के राष्ट्रीय पर्व के कार्यक्रमों के संचालन में शहीदों, सैनिकों और कश्मीर के लालचौक के बार-बार जिक्र से ही शिष्य ने यह तय कर लिया कि ये लालचौक कौनसी जगह है!वहीं पर सरकारी अध्यापक बन करके आने वाले प्रथम शिक्षक दिवस पर गुरुजी को साथ ले जाकर आशीर्वाद लूँगा। शिष्य प्रदीप कुलहरी ने 2024 में राजस्थान में अध्यापक भर्ती परीक्षा में प्रदेशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया और शिक्षक दिवस-2024 पर लालचौक पर अपने गुरुजी से आशीर्वाद लेने के लिए दिनांक 03 सितंबर को अपने गुरुजी से व्हाटसप पर आधार कार्ड की काॅपी मंगवाई और सीधी श्रीनगर की आने-जाने की टिकट गुरुजी को व्हाटसप किया और विनम्र निवेदन किया कि अपन दोनों शिक्षक दिवस पर श्रीनगर लालचौक चलेंगे! गुरुजी कुछ समझ नहीं पाये तो शिष्य ने अपने संजोए हुए सपने की पूरी कहानी बताई तो ये सब सुनकर आवश्यक कार्य होते हुए भी अपने शिष्य को मना नहीं कर सके और भावुक होकर के हाँ कर दी। लेकिन गुरु ने अपने प्रिय शिष्य के लिए यह एक शर्त रखी की आपका सरकारी स्कूल के शिक्षक के तौर पर यह पहला ही शिक्षक दिवस है अतः पहले आप 5 सितंबर को अपनी पदस्थापित स्कूल ही जायें और फिर 05 दिवसीय भ्रमण पर लालचौक- श्रीनगर में 11 सितंबर को गुरु-शिष्य तिरंगे को सलाम करेंगे और विश्व प्रसिद्ध गुरु रामकृष्ण परमहंस- शिष्य स्वामी विवेकानंद की परम्परा को चिरस्थाई बनायेंगे। ध्यान रहें विश्वधर्म के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ही स्वामी जी ने विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक भाषण भी 11 सितंबर 1983 को ही दिया था जिसमें हिन्दुस्तान के दर्शन, सनातन धर्म और समृद्ध अध्यात्म की अंतरराष्ट्रीय फलक पर व्याख्या की थी। अतः हिन्दुस्तान के आध्यात्मिक पुरोधा के 11 सितंबर के अविस्मरणीय भाषण के दिन गुरु-शिष्य की गुरुकुल की सनातन की परम्परा को पुनः याद दिलाने के लिए आज 11 सितंबर, 2024 को लालचौक-कश्मीर में शिष्य ने गुरु से आशीर्वाद लिया।
शिक्षक वर्जन- मेरे प्रिय शिष्य के द्वारा ऐसा सरप्राइज देना अचंभित करने वाला है।मैंने भगवान के आशीर्वाद से कैंसर को हराया,आज तक मैंने कभी भी टी.ए.&डी.ए. नहीं लिया,ना ही कैंसर जैसे ट्रीटमेंट का कभी मेडिकल रिमबरमेंट लिया, कार्यालय में शनिवार को अवकाश रहता है लेकिन मैंने हमेशा स्कूलों का निरिक्षण किया,ना कभी सरकारी गाड़ी काम में ली।

शिक्षक की योग्यता- एम.ए. राज.विज्ञान,एम.ए. इतिहास, बी.एड.,एम.एड.,एम.फिल. -राज.विज्ञान, एम.फिल.- शिक्षा,एल.एल.बी.,नेट,सेट, पीएच.डी.

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