धरती से कभी भी टकरा सकता है सोलर तूफान:16 लाख किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा सोलर तूफान
सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है।
Jagratnews.com(desk)
Solar Storm About to Hit Earth: सूरज की सतह से पैदा हुआ एक शक्तिशाली सौर तूफान (Solar Storm Speed) तेज गति से आगे बढ़ रहा है और यह रविवार या सोमवार तक धरती से टकरा सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसके कारण सैटेलाइट सिग्नल बाधित हो सकते हैं. इसके साथ ही विमानों की उड़ान, रेडियो के सिग्नल और मौसम पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ये सौर तूफान सूर्य के वायुमंडल में पैदा हुआ है, इसके कारण चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाला अंतरिक्ष का एक क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित हो सकता है.
वहीं जो लोग उत्तरी या दक्षिणी अक्षांशों पर रहते हैं, उन्हें रात के वक्त खूबसूरत ऑरोरा दिखाई दे सकता है. ऑरोरा ध्रुव के पास रात के समय आसमान में चमकने वाली रोशनी को कहते हैं (Solar Storm Approaching Earth 2021). अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तूफान की रफ्तार 1609344 किलोमीटर प्रति घंटा बताई है. एजेंसी का कहना है कि इसकी गति और ज्यादा भी हो सकती है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष में महातूफान आ जाए, तो उससे धरती के लगभग सभी शहरों की बिजली जा सकती है. जो कि बिल्कुल अच्छी खबर नहीं है।एक्सपर्ट के अनुसार
कई बार सोलर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गर्म हो जाता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर पड़ता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक शक्तिशाली सोलर तूफान काफी तबाही मचा सकता है। यह सबसे खराब तूफान से 20 गुना अधिक आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है।
रात में बनेगा सुंदर अरोरा
खलोग वैज्ञानिकों ने कहा है कि सौलर तूफान उठने की वजह से उत्तरी या दक्षिणी अक्षांसों में रहने वाले लोगों को रात के वक्त आकाश में काफी मनमोहक नजारा, जिसे साइंस की भाषा में अरोरा कहा जाता है, वो देखने की उम्मीद कर सकते हैं। जिसमें आसमान से काफी चमकीली रोशनी काफी देर तक निकलती रहेगी, जिसे अरोरा कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर हवाएं आवेशित कणों या फिर प्लाज्मा की धाराएं होती हैं, जो सूरज से निकलती हैं और फिर अंतरिक्ष में फैल जाती हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि ये हवाएं ऊपर की ओर औसतन करीब दस लाख मील प्रति घंटे की गति से चलती हैं, लेकिन इसकी रफ्तार और भी ज्यादा तेज हो सकती हैं।
1989 में भी आया था सोलर तूफान
इस सोलर तूफान का पृथ्वी पर क्या असर होगा, ये तो दो दिनों के बाद पता चलेगा, लेकिन इससे पहले 1989 में सूरज से निकला तूफान पृथ्वी से टकराया था, जिसका काफी असर कनाडा पर पड़ा था। उस वक्त कनाडा के क्यूबेक शहर में करीब 12 घंटे के लिए बिजली गायब हो गई थी और लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वहीं, उससे पहले 1959 में अभी तक का सबसे बड़ा और शक्तिशाली तूफान जिओमैग्नेटिक पृथ्वी से टकराया था, जिसने अमेरिका के टेलीग्राफ नेटवर्क को पूरी तरह से तबाह कर दिया था और उन नेटवर्क में काम करने वाले कर्मचारियों ने बिजली का काफी तेज झटका महसूस किया था।
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