Protection of animals from zoonotic diseases,जूनोटिक रोगों के प्रति पशुपालकों में जागरूकता जरूरी - डाॅ. दीपिका धूड़िया

जूनोटिक रोगों के प्रति पशुपालकों में जागरूकता जरूरी - डाॅ. दीपिका धूड़िया

Protection of animals from zoonotic diseases

Jagratnews(डेस्क)12.06.2021

प्रसार शिक्षा निदेशालय, राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के द्वारा पशु विज्ञान केंद्र, कोटा के माध्यम से पशुपालक कौशल विकास प्रशिक्षण अभियान के अन्तर्गत पांच दिवसीय निःशुल्क ऑनलाइन पशुपालक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तृतीय दिवस को पशुओं से मनुष्यों में होने वाले पशुजन्य/जूनोटिक रोगों के बारें में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम के आयोजन सचिव, प्रभारी अधिकारी,  पशु विज्ञान केंद्र, कोटा के डाॅ. अतुल शंकर अरोड़ा ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर के तृतीय दिवस प्रमुख वक्ता डाॅ. दीपिका धूड़िया, सहायक आचार्य, पशुचिकित्सा एंव पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर रही। डाॅ. दीपिका धूड़िया ने बताया कि पशुओं के लगातार सम्पर्क में रहने के कारण पशुओं से कुछ रोग मनुष्यों में हो सकते है। जिन्हें पशुजन्य या जूनोटिक रोग कहते है। ये मुख्यतः बैक्टिरिया, वायरस, परजीवी, फंगस तथा कई प्रकार के मच्छरों एंव कीट-पतंगों से फैलते है। उन्होनें पशुजन्य रोगों के अन्तर्गत बू्रसेलासिस, तपेदिक, बोटयूलिज्म, रेबीज, लिस्टीरियोसिस, साल्मोनेलोसिस, डेंगू बुखार एंव बर्ड फ्लू आदि के मनुष्यों में प्रसारण के माध्यमों, लक्षणों एंव बचाव हेतु रखी जाने वाली सावधानियों के बारें मे पशुपालकों को बताया और पशुपालकों से आह्वान किया कि मनुष्यों में पशुजन्य बीमारी होने पर अपने चिकित्सक को पशुओं में संक्रमण व उनसे सम्पर्क के बारें में अवश्य अवगत कराएं ताकि सही निदान व इलाज किया जा सके और पशुशालाओं में रोगाणुनाशक दवाओं के उपयोग से साफ-सफाई व संदूषण रख कर एंव पशुओं का टीकाकरण करवाकर पशुजन्य रोगों को फैलने से रोका जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालन में  डाॅ. निखिल श्रृंगी व डाॅ. तृप्ति गुर्जर ने सक्रिय भागीदारी निभाई। तृतीय दिवस के अवसर पर 90 से अधिक पशुपालकों ने भागीदारी निभाई एंव लगभग एक तिहाई से अधिक महिला पशुपालक सक्रिय भागीदारी के साथ लाभान्वित हुई। कार्यक्रम के अंत में पशुपालकों की जिज्ञासाओं एंव शंकाओं का भी समाधान किया गया।

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