ब्रायलर फार्मिंग पशुपालकों के विकास की अहम कड़ी:- डॉ जयदीप
Jagratnews। पशु विज्ञान केंद्र झुंझुनू में पशुपालक कौशल विकास प्रशिक्षण अभियान के तहत "कुक्कुट पालन एवं प्रबंधन " विषय पर पांच दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रसार शिक्षा निदेशालय, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के द्वारा चलाया जा रहा है। प्रभारी अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि बुधवार को वक्ता डॉ जयदीप, वैज्ञानिक, केंद्रीय पक्षी अनुसंधान केंद्र बरेली, ब्रायलर फार्मिंग के बारे में पशुपालकों को जानकारी दी। उन्होंने पोल्ट्री फार्म के पंजीयन का तरीका, बॉयलर फार्म की शहर से दूरी का महत्व बताया। फार्म की दिशा सदैव पूर्व से पश्चिम रखने से सीधी धूप से बचा जा सकता है। 1000 स्क्वायर फीट के एरिया में लगभग 800 से 850 मुर्गियों को रखा जा सकता है। एक फार्मिंग से दूसरे फार्मिंग के बीच में फर्श के बिछावन में चुना मिलाने से नमी व बीमारियों से बचा जा सकता है तथा फ्यूमिगेशन के रूप में लाल दवा (20ml) व फॉर्मलीन (40ml) को मिलाकर 300 स्क्वायर फीट में छिड़काव कर 6 घंटे तक फार्म के सारे गेट व खिड़कियां बंद कर देने से पोल्ट्री फार्म के सारे जर्म मर जाते हैं। सर्दियों के दिनों में फार्म में 12 घंटे पहले ही लाइट जलाने से 37 डिग्री तापमान आ जाता है जो कि चिक्स के लिये बहुत जरूरी है क्योंकि ब्रूडिंग का तापमान 35 से 37 डिग्री के मध्य होता है।नए चिक्स में वैक्सीन का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि जीरो दिवस पर मार्कस बीमारी,5 से सातवें दिन रानीखेत बीमारी, 14 दिन गुंबोरो बीमारी तथा 25 से 28 वें दिन रानीखेत बीमारी की बूस्टर डोज लगती है। आजकल वैक्सीन को आंख में ड्रॉप के द्वारा या मुंह में पाया जाता है। उन्होंने पशुपालकों को शुरुआती दिनों में कॉन्ट्रैक्ट मार्केटिंग पर पोल्ट्री व्यवसाय को सीखते हुए आगे बढ़ना ज्यादा फायदेमंद बताया। केन्द्र के डॉ विपिन चन्द्र ने कार्यक्रम के संचालन में सहयोग किया तथा डॉ सुखवीर सिंह ने सभी पशुपालकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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