गाय-भैंसों के उपापचयी रोगों के बारें में दी ऑनलाइन जानकारी
jagratnews.(news desk)14.06.2021
प्रसार शिक्षा निदेशालय, राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के द्वारा पशु विज्ञान केंद्र, कोटा के माध्यम से पशुपालक कौशल विकास प्रशिक्षण अभियान के अन्तर्गत पांच दिवसीय ( 10 से 14 जून, 2021 ) निःशुल्क ऑनलाइन पशुपालक प्रशिक्षण कार्यक्रम के पंचम दिवस आज गाय-भैंसों के उपापचयी रोग विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम के आयोजन सचिव, प्रभारी अधिकारी, पशु विज्ञान केंद्र, कोटा के डाॅ. अतुल शंकर अरोड़ा ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर के पंचम दिवस के प्रमुख वक्ता डाॅ. लेनिन भट्ट, वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी, राज्य रोग निदान केंद्र, जयपुर रहे। डाॅ. लेनिन ने बताया कि गाय-भैंसों में उपापचयी रोग मुख्यतः उपापचयी क्रियाओं के असंतुलन से होते है। सामान्यतः यह रोग गाय-भैंस के ब्याने से पहले, ग्याभिन अवस्था अथवा ब्याने के बाद होते है तथा अधिकांशत: यह रोग दूधारू गाय-भैंसों में ब्याने के कुछ दिनों के बाद होते है। ये उपापचयी रोग देशी नस्ल की गायों की अपेक्षा शंकर नस्ल की गायों में अधिक होते है क्योंकि इनमें दूध उत्पादन क्षमता अधिक होती है और इस कारण से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन उपापचयी रोगों की रोकथाम के लिए संतुलित आहार और पोषक तत्वों की पूर्ति एक अहम भूमिका निभाती है।डाॅ. लेनिन ने गाय-भैंसों के मुख्य उपापचयी रोगों जैसे दुग्ध ज्वर, ग्रास टिटेनी, डाउनर काउ सिन्ड्रोम, कीटोसिस, पोस्ट पारच्यूरेन्ट हीमोग्लोबिनयूरिया आदि के कारणों, मुख्य लक्षणों, व बचाव एंव उपचार के बारें में विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालन में डाॅ. निखिल श्रृंगी व डाॅ. तृप्ति गुर्जर ने सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पंचम दिवस पर 80 से अधिक पशुपालकों ने भागीदारी निभाई एंव लगभग एक तिहाई से अधिक महिला पशुपालक सक्रिय भागीदारी के साथ लाभान्वित हुई। कार्यक्रम के अंत में पशुपालकों की जिज्ञासाओं एंव शंकाओं का भी समाधान किया गया।
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