Locust party threat in India,पाकिस्तान से आयी लाखों टिड्डियां,राजस्थान (Rajasthan ) के जैसलमेर पहुंची,अभी प्रबंध करे सरकार नहीं तो होगा आगामी खरीफ की फसलों में बड़ा नुकसान

पाकिस्तान (Pakistan) से आईं लाखों टिड्डियां राजस्थान (Rajasthan ) के जैसलमेर में 24 मई सोमवार को देखीं गई हैं। 

क्या है टिड्डी और टिड्डी दल (what is Locust and  Locust party) -
विश्व की सबसे खतरनाक कीट है टिड्डी(Locust is the world's most dangerous insect)- 
टिड्डी का प्रजनन केंद्र  कहां हैं(Where are the grasshopper breeding centers)-
भारत में कब आती हैं टिड्डी(When do grasshoppers come to India)-
भारत में सबसे बड़ा  टिड्डी दल का हमला(Largest locust party attack in India)--
कहां और कैसे पनपती हैं टिड्डियां(Where and how locusts thrive)-
टिड्डी दल की स्पीड कितनी है (How much does grasshopper speed)-
टीड्डी दल कब आराम करता है और इसे  कैसे मारा जा सकता है(When does the tiddy party rest and how can it be killed
टिड्डी दल से बचाव के उपाय क्या है(What are the measures to prevent the locust?)-
टिड्डी दल से हरे मैदानी इलाके में खतरा सबसे ज्यादा(Locust party is most vulnerable to green plains)

Locust party

इस बार भी इस की़ट का खतरा किसान की खेती पर मंडराने लगा है।समय पर प्रबंध सरकार करे नहीं तो विशेषज्ञों के अनुसार  जिस तरह से ये टिड्डिया  हमला करती है उससे देश में करोड़ों रुपये की कीमत की खरीफ की फसलें धान (चावल),मक्का,ज्वार,बाजरा,मूँग,मूँगफली औरअन्य फसलों के नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है।ये़ टिड्डी दल जिस भी इलाके से गुजरते वहां के खेतों में फसलें गायब हो जाती हैं।Jagratnews portal पर  हम टिड्डीयों के हमले और बचाव सहित सम्पुर्ण जानकारी देगें पुरी खबर पढ़े और बचाव करेःतो आइए जाने 

क्या है टिड्डी और टिड्डी दल (what is Locust and  Locust party) -
टिड्डी एक प्रकार के कीट होती है जिन्हें आमतौर पर अकेले रहना पसंद होता है। लेकिन, मुसीबत में ये एकजुट हो जाती हैं और झुंड बना लेती हैं जिसे टिड्डी दल कहते हैं। पतझड़ का मौसम आने पर ये खाने की तलाश में दूसरी जगह उड़कर चले जाते हैं। टिड्डी दल, फल-फूल व पत्ती से लदे खेत को तब तक नहीं छोड़ते जब तक उसकी सारी हरियाली खत्म नहीं हो जाएं। इसलिए, किसानों व खेती के लिए कट्टर शत्रु हैं।

विश्व की सबसे खतरनाक कीट है टिड्डी(Locust is the world's most dangerous insect)- 
कृषि वैज्ञानिको के अनुसार दुनियाभर में टिड्डियों की तकरीबन 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। वही भारत में इनकी चार प्रजाति ही मिलती हैं। इसमें रेगिस्तानी , प्रवाजक , बंबई  और पेड़ वाला टिड्डा शामिल हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ये हरे-भरे घास के मैदानों में आने पर खतरनाक रूप ले लेते हैं।

टिड्डी का प्रजनन केंद्र  कहां हैं(Where are the grasshopper breeding centers)-
Locusts) टिड्डी दल दुनियाभर में खेती को नुकसान पहुंचा रहा हैं।  टिड्डियों का प्रजनन केंद्र मुख्य रूप से ईरान और पाकिस्तान का बंजर रेतीला स्थान है ।विशेषज्ञों की मानें तो पहले प्रजजन काल में टिड्डियां 10 गुना बढ़ती हैं, दूसरे में 4०० और तीसरे में 1600 गुना तक बढ़ जाती हैं.

वैज्ञानिकों की मानें तो लगातार चक्रवातों से हवाओं का रुख बदला और टिड्डियां हवा के साथ मुड़ती हैं। ये टिड्डियां सामान्य तौर पर सर्दी के मौसम में आराम फरमाती हैं। लेकिन भारत के साथ ही कई एशियाई देशों में इनका हमला लगातार बना हुआ है, यह विशेषज्ञों के लिए दुविधा का विषय है।पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र राजस्थान और गुजरात  से भारत में प्रवेश करती  है। 

भारत में कब आती हैं टिड्डी(When do grasshoppers come to India)-
भारत में टीड्डडीयों का हमला  खरीफ की फसल पर ज्यादा होता है पिछले वर्ष  जून-जुलाई 2020 में पाकिस्तान से राजस्थान होते हुए टिड्डी दल ने भारत के पंजाब, यूपी,राजस्थान,हरियाणा और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में धावा बोला था और फसलों को तबाह कर दिया । आगामी दिनो मे फिर से टिड्डी दल का प्रकोप देखने को मिल सकता है।  

भारत में सबसे बड़ा टिड्डी दल का हमला(Largest locust party attack in India)--
पिछले कई वर्षों से भारत में टिड्डियों का हमला होता रहा है। देश में अब तक सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला साल 1993 में हुआ था। बाद के वर्षों में इससे बड़ी संख्या में टिड्डियों का दल आता रहा है, लेकिन सरकार कै हाईएलर्ट  की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हुआ। इस बार ये टिड्डियां ईरान के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए भारत के जैसलमेर पहुंचती हैं। 


Locust party image


कहां और कैसे पनपती हैं टिड्डियां(Where and how locusts thrive)-
टिड्डियों के भारी संख्या में इजाफे का मुख्य कारण वैश्विक तापवृद्धि के चलते मौसम में आ रहा बदलाव है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि खतरनाक माने जाने वाले रेगिस्तानी टिड्डे रेत में अंडे देते हैं ।
एक मादा टिड्डी तीन बार तक अंडे दे सकती है और एक बार में 100-150 अंडे तक दे सकती हैं। टिड्डियों के एक वर्ग मीटर में एक हजार अंडे हो सकते हैं। इनका जीवनकाल तीन से पांच महीनों का होता है। नर टिड्डे का आकार 60-70 एमएम और मादा का 80-90 एमएम तक हो सकता है।

टिड्डी दल की स्पीड कितनी है (How much does grasshopper speed)-
टिड्डियों का अस्थिर झुंड बहुत तेज होता है। हवा के अनुकूल होने पर एक दिन में ये झुंड 150 किमी तक की सफर कर सकता है। वे सुबह 4 बजे से रात 8 बजे तक उड़ता हैं, ये बड़ी मात्रा में हरा चारा सब्जियां और अनाज खाते हैं।
 

टीड्डी दल कब आराम करता है और इसे  कैसे मारा जा सकता है(When does the tiddy party rest and how can it be killed)
टिडिया रात को सोने के बाद नहीं उठती है यह टीडी दल रात 8 बजे के बाद यह टीडी दल दिनभर की भागदौड़ के बाद और लंबे सफर की थकान मिटाने के लिए एक जगह ऊपर नीचे झुंड में आराम फरमाता है कितनी ही तेज आवाज या इन्हें खदेड़ने का प्रयास बिल्कुल भी विफल है। सुबह तकरीबन 4 बजे यह है फिर से खाने की तलाश में निकलता है जब है सोता है,तब इसे रासायनिक क्लोरोपाईरीपोरस व लेम्डा ईसी को पानी में मिलाकर खेतों में सो रहे टिड्डी दल पर छिड़काव किया कर करें मारा जा सकता है। 

टिड्डी दल से बचाव के उपाय क्या है(What are the measures to prevent the locust?)-
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मानसून के समय टिड्डियों के कई झुंड अफ्रीका से पाकिस्तान होते हुए राजस्थान पहुंचते है. इनके झुंड से फसलों और वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचता है क्योंकि एक टिड्डी एक दिन में अपने वजन के बराबर खाना खाती है. इस लिए पूरी फसल को केवल कीटनाशक के प्रयोग से नहीं बचाया जा सकता है. इनसे अपने खेतों की फसल को बचाने के लिए नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करने से काफी हद तक इनसे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।

जब भी टिड्डी दल खेत-खलियान में दस्तक दे तो इसकी सूचना किसानों को तुरंत  ग्राम पंचायत अधिकारी या कृषि विभाग के सहायकों के जरिए कृषि विभाग एवं जिला प्रशासन तक पहुंचा दें। टिड्डी दल शोर को सुनकर खेतों में नहीं बैठता हैं , इसलिए टिड्डी दल से फसलों को बचाने के लिए किसानों को एक साथ इकट्ठे होकर टीन के डिब्बों,डीजे, थालियों से शोर करना चाहिए। टिड्डी बलुई मिट्टी में प्रजनन करके वहीं अंडा देती है. अनुकूल मौसम में इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि होती है। इसलिए ऐसे मिट्टी वाले स्थानों पर जुताई के साथ ही जल का भराव भी करा देना चाहिए.


Locust party in tree



टिड्डी दल से हरे मैदानी इलाके में खतरा सबसे ज्यादा(Locust party is most vulnerable to green plains)
टिड्डी दल का हमला सबसे ज्यादा हरे और मैदानी इलाके होता हैं।आसमान में उड़ते इन टिड्डी दलों में दस अरब टिड्डे तक हो सकते हैं. ये झुंड एक दिन में १३ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करीब २०० किलोमीटर तक का रास्ता नाप सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (AFAO) के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर में फैले दल में तकरीबन चार करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो एक दिन में इतने वज़न का भोजन कर लेती हैं, जितने में ३५ हज़ार लोगों का पेट भर सकता है. अगर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन २.३ किग्रा भोजन का औसत लिया जाए।
खतरनाक माने जाने वाले रेगिस्तानी टिड्डे रेत में अंडे देते हैं, लेकिन जब ये अंडों को फोड़कर बाहर निकलते हैं, तो भोजन की तलाश में हरियाली वाली जगहों की तरफ बढ़ते हैं। इससे नमी वाले इलाकों में टिड्डियों का खतरा ज्यादा होता है।

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