राजस्थान के बाबोसा का राजनैतिक जीवन
Jagratnews ( प्रदीप गढ़वाल) । राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाचरियावास के एक गरीब राजपूत परिवार में 23 अक्टूबर 1923 को जन्मे भैरोंसिंह शेखावत ने अंग्रेजों के जमाने में पुलिस की नौकरी ज्वाइन की और इन्हें सीकर का थानेदार बनाया गया। कुछ समय बाद पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर शेखावात ने अपना रुझान राजनीति की तरफ किया शुरुआती दौर मे आरएसएस की विचारधारा से जुड़ गए। देश में पहले आम चुनाव 1952 में भैरोंसिंह शेखावत ने सीकर जिले के दांतारामगढ विधानसभा क्षेत्र से भाग्य और विधायक बने। यही शुरुआत उन्हें राजनीति में शिखर तक चमकाने के लिए तैयार बैठी थी।
भैरोंसिंह शेखावत ने दस बार चुनाव लड़ा नौ बार जीते
मिलनसार स्वभाव और राजनीति के धुरंधर भैरोंसिंह शेखावत दबंग नेता माने जाते थे। शेखावत ने अपने जीवन में दस बार विधानसभा चुनाव लड़ा जिनमें नौ बार जीते। बाड़मेर से लोकसभा 1971 का मध्यावधि चुनाव लड़े और हार गए।खास बात यह थी कि शेखावत ने हर बार चुनाव में अपना क्षेत्र बदला। तब भी जनता ने अपने चहेते बाबोसा को झोलीभर वोट दिए।
राजस्थान मे भाजपा के स्तम्भ बने
आपातकाल में शेखावत को 20 महिने जेल में गुजारने पड़े थे।उस समय इनका राजनैतिक कद बढ़ गया तथा इर्द गिर्द कोई गैर कांग्रेसी नेता नहीं था। आपातकाल समाप्त होने के बाद नवगठित जनता पार्टी को भारी सफलता मिली।
22 जून 1977 को भैरोंसिंह को राजस्थान का पहला गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।
लेकिन वर्ष 1980 में केन्द्र में आई कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की भैरोंसिंह सरकार को भंग कर राजस्थान में दुबारा नए चुनाव करवाए।
जिसमें शेखावत नवगठित भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और विधानसभा में विपक्ष के प्रतिपक्ष नेता बने।
चार साल तक के विपक्ष के नेता बने रहे। फिर 1990 में जनता दल के समर्थन से भैरोंसिंह शेखावत ने राजस्थान में सरकार बनाई और दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
15 दिसम्बर 1992 को केन्द्र ने 1991 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के आरोप में
शेखावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
इसके बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में शेखावत ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राजस्थान में सरकार बनाई और 4 दिसम्बर 1993 को तीसरे बार मुख्यमंत्री बने।यों कह सकते है की शेखावत राजस्थान मे भाजपा के प्रमुख नींव रखने वाले स्तम्भ बने ।
वर्ष 2002 से 2007 तक शेखावत देश के उपराष्ट्रपति रहे। 15 मई 2010 को इनका निधन हो गया।
जब भी भाजपा संकट में फंसी इनका राजनीतिक अनुभव पार्टी के काम आया। ऐसी शख्सीयत थे पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत।
झुंझुनू मे राजनीति के अजातशत्रु भैरोंसिंह शेखावत की
श्रद्धांजलि सभा आयोजित
जिले के गणपति नगर स्थित न्यू राजस्थान बालिका पी.जी. महाविद्यालय में शनिवार को पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की पुण्यतिथि पर आयोजित वर्चुअल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।ढूकिया ने बताया कि पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत राजनीति में अजातशत्रु थे उन्होंने थानेदार से लेकर उपराष्ट्रपति तक का सफर अपनी योग्यता से अर्जित किया था। कहा कि राजनीति में काम करने वाले ऐसे कम ही लोग होते हैं जो अपने दल के साथ साथ दूसरे दलों में भी अपनी राजनीतिक चातुर्यता से समय के अनुसार कार्य निकालने की योग्यता में सिद्धहस्त हो, यही कारण था कि उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में पार्टी के वोटों के अतिरिक्त वोट बड़ी संख्या में उन्हें प्राप्त हुए। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं घटनाओं को कार्यकर्ताओं के सम्मुख रख उन्हें अपने जीवन में उतारने का संकल्प दिलाया।
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