कोरोना में माता-पिता को खोने वाले बच्चे को नि:शुल्क शिक्षा देंगे इंजीनियर प्यारेलाल ढुकिया,कोरोना फ्रन्ट लाइन वर्करस बच्चों की रहेगी आधी फीस




Engineer Pyarelal Dhukia

कोरोना की वजह से माता-पिता को खोने वाले बच्चे नि:शुल्क पढ़ेगें-इंजीनियर प्यारेलाल ढुकिया

कोरोना में फ्रन्ट वर्कर के बच्चे के भी आधी फीस में पढ़ेगें 

स्कुल से स्नातक स्तर की शिक्षा में दी है ये छुट

Jagratnews(प्रदीप गढ़वाल) झुंझुनू जिले के शिक्षा क्षेत्र में बङी पहल सामने आई हैं। जिसके तहत कोरोना महामारी  में माता-पिता को खोने वाले बच्चों को नि:शुल्क पढ़ायेगें साथ ही कोरोना में फ्रन्ट वर्कर बनकर काम करने वालों के बच्चे को भी आधी फीस में पढ़ायेगें । झुंझुनू जिले के समाजसेवी और शिक्षाविद और झुंझुनू भाजपा जिला उपाध्यक्ष  इंजीनियर प्यारेलाल ढुकिया ने कोरोना महामारी में मानवीय फर्ज निभाने वाले सामाजिक मूल्यों को  बढ़ावा देने वाली ये जाग्रत पहल की । वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है उनको संबल देने के लिए उनकी स्कूल शिक्षा एवं कॉलेज शिक्षा न्यू राजस्थान पब्लिक शिक्षण संस्थान, झुन्झुनूं द्वारा संचालित स्कूल एवं कॉलेज में नि:शुल्क प्रदान की जावेगी, ऐसे बच्चों से किसी भी प्रकार का शिक्षण शुल्क नहीं लिया जावेगा, साथ ही अन्य किसी बीमारी से अनाथ हुए बच्चे भी नि:शुल्क पढ़ाये जायेगें। 

ये बच्चे पढ़ेगें नि:शुल्क- 

इंजी प्यारेलाल ढूकिया ने बताया कि कोरोना महामारी के रोकथाम व बचाव में लगे फ्रन्ट लाईन वर्कर चिकित्साकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, पैरामेडिकलकर्मी, पुलिसकर्मी, पत्रकारगण आदि के बच्चों को शिक्षण शुल्क में ५० प्रतिशत छूट प्रदान की जावेगी। संस्था सचिव इंजी. पीयूष ढूकिया ने बताया कि न्यू राजस्थान पब्लिक स्कूल में कक्षा १ से १२ तक तथा कॉलेज में स्नातक स्तर तक शिक्षण शुल्क में छूट प्रदान की जावेगी।  भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां व जिलाध्यक्ष पवन मावंडिया की प्रेरणा से यह समाज हित में काम किया है।

न्यू राजस्थान स्कूल के निदेशक की तरह और भी  करे पहल-

पिछले वर्ष २०२० में  बच्चों का  २ से ३ महीने शिक्षा सत्र चला था । जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार  निजी शिक्षा क्षेत्र  वालों ने जमकर फीस वसूली थी वे भूल गए थे कि शिक्षा एक अनिवार्य विषय है जिस पर सबका हक है । कोरोनावायरस जैसी वैश्वाक महामारी में सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाने की स्थिति के बाद आमजन के हालात इतने बदतर हो गए थे कि उनकी मूलभूत समस्याएं भी पूरी हो ना होना गले की फांस बन गया था २०२० के अंत में आमदनी होने वाली सभी गतिविधियां फिर से शुरू हुई रफ्तार पकड़ने से पहले ही अप्रैल मे  कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने  ब्रेक लगा दिए। इस समय के बीच में कई परिवारों ने बहुत कुछ खोया है परिवारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है इस बार सरकार से राहत मिलना मुश्किल है ऐसे में हर वर्ग पर ज्यादा भार आएगा। ऐसे में बच्चों की शिक्षा ज्यादा असर पड़ा हैं और स्कुल के नाम मे भी बदलाव तय है। शिक्षा क्षेत्र में ऐसी पहल वाकई काबिले तारीफ है हम भी कहेंगे की न्यू राजस्थान शिक्षण संस्थान के निदेशक की तरह और भी डायरेक्टरों के दिल पसीजे ताकि आमजन को राहत मिले और देश का भविष्य सुधरे ।


  


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